सन 1980/1990 के दशक में जन्म वाले मारवाड़ी (राजस्थान) के बचपन को चित्रित करती कुछ पंक्तिया मारवाड़ी भाषा में :
याद घणी आवे बीतीयूडी बाता,
गाँव रा गोना चरावता, दडीया रमता,
स्कूलों में दाल - बाटी खावता, गेंहू - बाजरा लावता,
छोरियां ने बकरियाँ केर चिड़ावता,
टेक्टर री टोली लारे लमुटता,
खेलड़ी का खोखा खावता, धोरा माथे गुड़ता,
मोरिया रि पंखा चुगता ,
पतंगा रे लारे दौड़ता और बाने लूटने के बाद लड़ता,
खेलडी री डाल माथे हिंडो घालता,
धूड़ा रा घर बनाय रमता,
रोज बापू या माँ कनु एक रुपियो लेर स्कूल जावता,
स्कूल में बाणिंया रा छोरा ने कूटता,
फाटूडी चड़िया पहन पुरे गाँव में घूमता,
बोल्डी रा बोर खावता,
छाने - छाने बिडीया रा टुकड़ा पीवता ,
फागण का चंग बजावता और
दिवाली ने टिकड़िया फोड़ता
याद घणी आवे बीतीयूडी बाता,
गाँव रा गोना चरावता, दडीया रमता,
स्कूलों में दाल - बाटी खावता, गेंहू - बाजरा लावता,
छोरियां ने बकरियाँ केर चिड़ावता,
टेक्टर री टोली लारे लमुटता,
खेलड़ी का खोखा खावता, धोरा माथे गुड़ता,
मोरिया रि पंखा चुगता ,
पतंगा रे लारे दौड़ता और बाने लूटने के बाद लड़ता,
खेलडी री डाल माथे हिंडो घालता,
धूड़ा रा घर बनाय रमता,
रोज बापू या माँ कनु एक रुपियो लेर स्कूल जावता,
स्कूल में बाणिंया रा छोरा ने कूटता,
फाटूडी चड़िया पहन पुरे गाँव में घूमता,
बोल्डी रा बोर खावता,
छाने - छाने बिडीया रा टुकड़ा पीवता ,
फागण का चंग बजावता और
दिवाली ने टिकड़िया फोड़ता
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