पति-पत्नि की बहुत ही खूबसूरत रूठाई-मनाई की कविता । इसकी एक-एक पंक्ति में आंनद है, प्यार है..
अपनी गृहस्थी को कुछ
इस तरह बचा लिया करो कभी आँखें दिखा दी कभी सर झुका लिया करो आपसी नाराज़गी को लम्बा चलने ही न दिया करो वो न भी हंसें तो तुम मुस्करा दिया करो
रूठ कर बैठे रहने से घर भला कहाँ चलते हैं कभी उन्होंने गुदगुदा दिया कभी तुम मना लिया करो खाने पीने पे विवाद कभी होने ही न दिया करो कभी गरम खा ली कभी बासी से काम चला लिया करो मीयां हो या बीबी महत्व में कोई भी कम नहीं कभी खुद डॉन बन गए तो कभी उन्हें बॉस बना दिया करो अपनी गृहस्थी को कुछ इस तरह बचा लिया करो... Dedicated to All Couples
अपनी गृहस्थी को कुछ
इस तरह बचा लिया करो कभी आँखें दिखा दी कभी सर झुका लिया करो आपसी नाराज़गी को लम्बा चलने ही न दिया करो वो न भी हंसें तो तुम मुस्करा दिया करो
रूठ कर बैठे रहने से घर भला कहाँ चलते हैं कभी उन्होंने गुदगुदा दिया कभी तुम मना लिया करो खाने पीने पे विवाद कभी होने ही न दिया करो कभी गरम खा ली कभी बासी से काम चला लिया करो मीयां हो या बीबी महत्व में कोई भी कम नहीं कभी खुद डॉन बन गए तो कभी उन्हें बॉस बना दिया करो अपनी गृहस्थी को कुछ इस तरह बचा लिया करो... Dedicated to All Couples
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